Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi: जब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध होने वाला था और अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार नहीं थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बहुत समझाया। इस उपदेश को हम आज भगवद गीता श्लोक के नाम से जानते हैं। भगवान कृष्ण ने गीता के 18 अध्यायों में 700 श्लोकों के माध्यम से अर्जुन को मार्गदर्शन दिया। महात्मा गांधी, अल्बर्ट आइंस्टीन, और स्वामी विवेकानंद जैसी महान हस्तियों ने गीता श्लोक का बहुत सम्मान किया है।
भगवद गीता श्लोक आज से 5700 वर्ष पहले कहा गया था, लेकिन आज भी इसका महत्व उतना ही है जितना महाभारत युद्ध के समय था। महाभारत युद्ध से पहले भगवान विष्णु ने गीता श्लोक भगवान सूर्य को सुनाया था, लेकिन तब वह अधिक लोगों तक नहीं पहुंच पाया था। महाभारत के युद्ध के समय जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, तब यह श्लोक पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ।
भगवद गीता श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अनेक महत्वपूर्ण बातें समझाई हैं। इन्हें पढ़ने या सुनने के बाद जीने और मरने का डर खत्म हो जाता है। गीता सिखाती है कि हमें बिना किसी फल की चिंता किए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म हमारे वश में है, लेकिन परिणाम हमारे वश में नहीं है। इसलिए जो हमारे वश में है, उसे हमें करना चाहिए और जो हमारे वश में नहीं है, उसे भगवान के हाथों में सौंप देना चाहिए। गीता में ऐसे कई महत्वपूर्ण संदेश हैं।
भगवद गीता श्लोक को केवल हिंदू नहीं, बल्कि सभी समुदाय के लोगों को पढ़ना चाहिए। यह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। भारत, जो विश्व का पहला सनातन धर्म वाला देश है, उसे विश्व गुरु भी कहा जाता था। भारत में ऐसे चमत्कार होते हैं जो अन्य देशों में नामुमकिन हैं। महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, ने स्वयं अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। इस उपदेश को संजय ने देखा और सुना, और फिर महाराज धृतराष्ट्र को बताया।
गीता श्लोक का महत्व आज भी उतना ही है और यह जीवन को सही दिशा देने में सहायक है। गीता हमें सिखाती है कि कैसे सही ढंग से जीवन जीना चाहिए और हमारे कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi की जानकारी प्राप्त करके आप भी अपने जीवन को सशक्त बना सकते हैं।
Geeta shlok : Shrimad bhagwat geeta shlok with meaning in Hindi, English and Sanskrit | गीता के श्लोक हिंदी में
कर्मण्येवाधिकारस्ते
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (भगवद गीता 2.47)
हिंदी: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल में नहीं। इसलिए कर्मफल की चिंता मत करो, न ही निष्क्रियता की ओर आकर्षित हो।
English Translation: You have the right to perform your duties, but you are not entitled to the fruits of your actions. Therefore, do not focus on the results, nor be inclined towards inaction-Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hind.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और उसके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए। परिणाम की चिंता करने से हम निष्क्रिय हो सकते हैं। सही कर्म करना ही हमारा धर्म है।
योगः कर्मसु कौशलम्
योगः कर्मसु कौशलम्॥ (भगवद गीता 2.50)
हिंदी: योग कर्मों में कुशलता है।
English Translation: Yoga is the excellence in action.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में योग का अर्थ कर्म में दक्षता और कुशलता से है। जब हम ध्यानपूर्वक और समर्पण के साथ कर्म करते हैं, तो वही सच्चा योग है। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों को अच्छे से निभाना भी है।
अध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (भगवद गीता 2.47)
हिंदी: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल में नहीं। इसलिए कर्मफल की चिंता मत करो, न ही निष्क्रियता की ओर आकर्षित हो।
English Translation: You have the right to perform your duties, but you are not entitled to the fruits of your actions. Therefore, do not focus on the results, nor be inclined towards inaction-Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और उसके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए। परिणाम की चिंता करने से हम निष्क्रिय हो सकते हैं। सही कर्म करना ही हमारा धर्म है।
अध्याय 2, श्लोक 50
बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥ (भगवद गीता 2.50)
हिंदी: बुद्धि से युक्त व्यक्ति इस जीवन में पुण्य और पाप, दोनों को त्याग देता है। इसलिए, योग में स्थिर हो जाओ, क्योंकि योग ही कर्मों में कुशलता है।
English Translation: A person engaged in devotional service rids himself of both good and bad actions even in this life. Therefore strive for yoga, which is the art of all work.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि योग और बुद्धि के साथ कर्म करने से व्यक्ति पुण्य और पाप, दोनों से मुक्त हो जाता है। इसलिए, योग को अपनाओ क्योंकि यह कर्मों में कुशलता है।
अध्याय 3, श्लोक 16
एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः।
अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति॥ (भगवद गीता 3.16)
हिंदी: जो इस प्रकार से स्थापित चक्र का अनुसरण नहीं करता, वह पापमय जीवन जीता है। ऐसा व्यक्ति इंद्रियों के सुख में लगा रहता है और व्यर्थ में जीवन बिताता है।
English Translation: He who does not follow the cycle of sacrifice established by the Vedas, O Arjuna, lives in vain, satisfied only in gratifying his senses –Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि जो व्यक्ति वेदों द्वारा स्थापित यज्ञ के चक्र का पालन नहीं करता, वह इंद्रियों के सुख में फंसा रहता है और उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है। यह श्लोक कर्म और यज्ञ के महत्व को दर्शाता है।
भगवत गीता के लोकप्रिय श्लोक भावार्थ के साथ Popular Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi
अध्याय 4, श्लोक 13
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्॥ (भगवद गीता 4.13)
हिंदी: चार वर्णों का विभाग मैंने गुण और कर्म के अनुसार किया है। यद्यपि मैं उनका स्रष्टा हूँ, किन्तु मुझे अकर्ता, अविनाशी जानो।
English Translation: The four categories of occupations were created by Me according to people’s qualities and activities. Although I am the creator of this system, know Me to be the non-doer and eternal.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि समाज के चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) गुण और कर्म के आधार पर बनाए गए हैं। यद्यपि उन्होंने इस व्यवस्था को बनाया है, फिर भी वे स्वयं को इन कर्मों से अलग बताते हैं।
अध्याय 5, श्लोक 18
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः॥ (भगवद गीता 5.18)
हिंदी: जो व्यक्ति विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में समता देखता है, वह ज्ञानी है।
English Translation: The wise see with equal vision a learned and gentle Brahman, a cow, an elephant, a dog, and an outcast.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण इस श्लोक में सच्चे ज्ञानी की परिभाषा देते हैं। सच्चा ज्ञानी वह है जो सभी जीवों में समानता देखता है और किसी के प्रति भेदभाव नहीं करता।
अध्याय 6, श्लोक 5
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥ (भगवद गीता 6.5)
हिंदी: मनुष्य को चाहिए कि वह स्वयं से ही अपना उद्धार करे और स्वयं को पतन में न डाले। क्योंकि आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा ही आत्मा का शत्रु है।
English Translation: One should elevate oneself by one’s own mind, not degrade oneself. The mind is the friend of the conditioned soul, and its enemy as well.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि मनुष्य का उद्धार और पतन उसके अपने मन पर निर्भर है। मनुष्य को अपने मन को नियंत्रित करके स्वयं का उद्धार करना चाहिए क्योंकि मन ही उसका मित्र और शत्रु दोनों हो सकता है।
अध्याय 6, श्लोक 6
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥ (भगवद गीता 6.6)
हिंदी: जिसने अपने मन को जीत लिया है, उसका मन मित्र है; लेकिन जिसने अपने मन को वश में नहीं किया, उसका मन उसके लिए शत्रु के समान कार्य करता है।
English Translation: For him who has conquered his mind, the mind is the best of friends; but for one who has failed to do so, his mind will remain the greatest enemy.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि जिसने अपने मन को नियंत्रित कर लिया है, उसके लिए मन मित्र बन जाता है। लेकिन जिसने अपने मन को नियंत्रित नहीं किया, उसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
अध्याय 6, श्लोक 30
यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति।
तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति॥ (भगवद गीता 6.30)
हिंदी: जो मुझे सभी जगह देखता है और सभी चीजों को मुझमें देखता है, मैं उससे कभी अलग नहीं होता और वह मुझसे कभी अलग नहीं होता।
English Translation: For one who sees Me everywhere and sees everything in Me, I am never lost, nor is he ever lost to Me.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण इस श्लोक में कहते हैं कि जो व्यक्ति सभी जगह उन्हें देखता है और सभी वस्तुओं में उन्हें देखता है, वह उनसे कभी दूर नहीं होता और वे उस व्यक्ति से कभी दूर नहीं होते। यह भक्ति और आत्मज्ञान का प्रतीक है।
अध्याय 9, श्लोक 22
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥ (भगवद गीता 9.22)
हिंदी: जो व्यक्ति अनन्य भाव से मेरा चिंतन और उपासना करते हैं, उनके योगक्षेम का (आवश्यकताओं की पूर्ति और सुरक्षा) भार मैं उठाता हूँ।
English Translation: To those who are constantly devoted and who worship Me with love, I give the understanding by which they can come to Me.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण इस श्लोक में बताते हैं कि जो भक्त अनन्य भक्ति के साथ उनकी उपासना करते हैं, वे उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। यह भगवान की अनंत कृपा का प्रतीक है।
Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi (Bhagavad Gita Quotes) | भगवत गीता श्लोक हिंदी
अध्याय 11, श्लोक 32
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत् प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः॥ (भगवद गीता 11.32)
हिंदी: मैं समय हूँ, जो सबको नष्ट करने वाला हूँ और यहाँ सब लोकों का संहार करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूँ। तुम्हारे बिना भी ये सभी योद्धा जो प्रतिपक्ष में स्थित हैं, नष्ट हो जाएँगे।
English Translation: I am time, the great destroyer of the world, and I have come here to engage all people. With the exception of you, all the soldiers here on both sides will be slain.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण अपनी विश्वरूप दिखाते हुए अर्जुन को बताते हैं कि वे समय के रूप में सभी जीवों का संहार करने के लिए आए हैं। यह श्लोक हमें समय की अजेय शक्ति और सर्वनाशक क्षमता को दर्शाता है।
अध्याय 12, श्लोक 13-14
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी॥ (भगवद गीता 12.13)
सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥ (भगवद गीता 12.14)
हिंदी: जो सब प्राणियों से द्वेष नहीं करता, जो सबका मित्र और करुणाशील है, जो ममता और अहंकार से रहित है, जो सुख-दुःख में सम रहता है और जो क्षमाशील है।
जो सदा संतुष्ट है, जो योगी है, जिसने आत्मा को वश में किया है, जो दृढ़ निश्चयी है, जिसने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किया है, ऐसा मेरा भक्त मुझे प्रिय है।
English Translation: He who is free from malice towards all beings, friendly and compassionate, free from possessiveness and ego, equal in joy and sorrow, and forgiving.
Ever content, mentally disciplined, self-controlled, and firm in his determination, with mind and intellect dedicated to Me, such a devotee is dear to Me.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि सच्चा भक्त वह है जो सभी जीवों से द्वेष नहीं करता, सभी का मित्र और करुणाशील होता है, अहंकार और ममता से मुक्त रहता है, सुख-दुःख में समान रहता है और क्षमाशील होता है। ऐसा व्यक्ति सदा संतुष्ट रहता है और भगवान को प्रिय होता है।
अध्याय 13, श्लोक 22
पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान्।
कारणं गुणसङ्गोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु॥ (भगवद गीता 13.22)
हिंदी: पुरुष प्रकृति में स्थित होकर प्रकृति के गुणों का अनुभव करता है। गुणों के संग से ही जीव अच्छे और बुरे जन्मों को प्राप्त करता है।
English Translation: The soul, seated in nature, experiences the qualities born of nature. Attachment to these qualities is the cause of its birth in good and evil wombs.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण बताते हैं कि आत्मा जब प्रकृति के साथ जुड़ती है, तब वह प्रकृति के गुणों का अनुभव करती है। इन गुणों के साथ संगति ही जीव के अच्छे और बुरे जन्मों का कारण बनती है।
अध्याय 14, श्लोक 5
सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्॥ (भगवद गीता 14.5)
हिंदी: हे महाबाहु, सत्त्व, रजस और तमस – ये तीनों गुण प्रकृति से उत्पन्न होते हैं। ये अविनाशी आत्मा को शरीर में बांधते हैं।
English Translation: O mighty-armed one, the modes of goodness, passion, and ignorance, born of nature, bind the imperishable soul to the body.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि सत्त्व, रजस और तमस – ये तीन गुण प्रकृति से उत्पन्न होते हैं और ये अविनाशी आत्मा को शरीर में बांधते हैं। यह श्लोक आत्मा और प्रकृति के गुणों के संबंध को समझाता है।
अध्याय 18, श्लोक 66
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥ (भगवद गीता 18.66)
हिंदी: सभी धर्मों को त्यागकर केवल मेरी शरण में आ जाओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, चिंता मत करो।
English Translation: Abandon all varieties of religion and just surrender unto Me. I shall deliver you from all sinful reactions; do not fear.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण इस श्लोक में अर्जुन से कहते हैं कि सभी प्रकार के धर्मों को त्यागकर केवल उनकी शरण में आ जाओ। वे सभी पापों से मुक्त कर देंगे और अर्जुन को चिंता नहीं करने का आदेश देते हैं। यह श्लोक भक्ति और समर्पण का अंतिम उपदेश है।
Motivational Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi (Bhagavad Gita Quotes)
अध्याय 2, श्लोक 3
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप॥ (भगवद गीता 2.3)
हिंदी: हे पार्थ, इस कायरता को त्याग दो, यह तुम्हारे लिए योग्य नहीं है। हृदय की तुच्छ दुर्बलता को छोड़कर खड़े हो जाओ, हे परंतप।
English Translation: O son of Pritha, do not yield to unmanliness. It does not befit you. Give up such petty weakness of heart and arise, O chastiser of the enemy.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण अर्जुन को प्रेरित करते हुए कहते हैं कि उसे कायरता और हृदय की दुर्बलता को त्याग कर उठ खड़ा होना चाहिए। यह श्लोक हमें हमारे अंदर की कमजोरी को छोड़कर अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 2, श्लोक 37
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः॥ (भगवद गीता 2.37)
हिंदी: मारे जाने पर स्वर्ग मिलेगा या जीतने पर पृथ्वी का राज्य भोगोगे। इसलिए, हे कौन्तेय, उठो और युद्ध के लिए दृढ़ निश्चय करो।
English Translation: If you are killed, you will attain heaven; if you are victorious, you will enjoy the earth. Therefore, arise, O son of Kunti, and be determined in battle.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण अर्जुन को प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं कि चाहे युद्ध में मारे जाओ या जीत हासिल करो, दोनों ही स्थिति में लाभ है। यह श्लोक हमें अपने कार्य में दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 4, श्लोक 34
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥ (भगवद गीता 4.34)
हिंदी: उस ज्ञान को समझो, विनम्रता और सेवा के साथ गुरु से प्रश्न पूछो। वे तत्वदर्शी ज्ञानी तुम्हें ज्ञान प्रदान करेंगे।
English Translation: Learn the truth by approaching a spiritual master. Inquire from him submissively and render service unto him. The self-realized souls can impart knowledge unto you because they have seen the truth.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनम्रता, सेवा और प्रश्न पूछने की आवश्यकता है। यह श्लोक हमें ज्ञान प्राप्ति के लिए सही मार्गदर्शन और गुरु के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 18, श्लोक 14
अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम्।
विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पञ्चमम्॥ (भगवद गीता 18.14)
हिंदी: कार्य का अधिष्ठान, कर्ता, विभिन्न प्रकार के उपकरण, विविध प्रकार के प्रयास और दैव ये पाँच कारण होते हैं।
English Translation: The place of action, the performer, the various senses, the many different kinds of endeavors, and ultimately the Supersoul—these are the five factors of action.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि किसी भी कार्य के सफल होने के लिए पाँच कारण होते हैं: कार्य का स्थान, कर्ता, उपकरण, प्रयास और दैव (ईश्वर)। यह श्लोक हमें हमारे कार्यों में इन सभी तत्वों का महत्व समझने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 18, श्लोक 46
यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः॥ (भगवद गीता 18.46)
हिंदी: जिससे सभी प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिससे यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड व्याप्त है, उस परमेश्वर की अपने कर्मों के द्वारा पूजा करके मनुष्य सिद्धि प्राप्त करता है।
English Translation: By worshiping the Lord, who is the source of all beings and who is all-pervading, a person can attain perfection through performing his own work.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि अपने कर्मों के माध्यम से परमेश्वर की पूजा करने से मनुष्य सिद्धि प्राप्त कर सकता है। यह श्लोक हमें अपने कर्मों को भगवान की पूजा के रूप में करने की प्रेरणा देता है, जिससे हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Bhagavad Geeta Shlok in Hindi:
अध्याय 3, श्लोक 21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥ (भगवद गीता 3.21)
हिंदी: श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा आचरण करता है, अन्य लोग भी वैसा ही करते हैं। वह जो उदाहरण प्रस्तुत करता है, पूरी दुनिया उसका अनुसरण करती है।
English Translation: Whatever action a great man performs, common men follow. Whatever standards he sets by exemplary acts, all the world pursues.
हिंदी अनुवाद: इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि महान व्यक्ति का आचरण अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनता है। लोग उन्हीं का अनुसरण करते हैं जो श्रेष्ठ कार्य करते हैं। यह श्लोक हमें अपने आचरण को सुधारने और उदाहरण प्रस्तुत करने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 6, श्लोक 40
पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।
न हि कल्याणकृत्कश्चिद् दुर्गतिं तात गच्छति॥ (भगवद गीता 6.40)
हिंदी: हे पार्थ, न तो इस लोक में और न ही परलोक में उस व्यक्ति का विनाश होता है। जो कल्याणकारी कार्य करता है, वह कभी बुरा परिणाम नहीं पाता।
English Translation: O son of Pritha, a transcendentalist engaged in auspicious activities does not meet with destruction either in this world or in the spiritual world; one who does good, My friend, is never overcome by evil.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण अर्जुन को आश्वस्त करते हैं कि जो व्यक्ति शुभ कर्म करता है, वह कभी विनाश को प्राप्त नहीं होता। यह श्लोक हमें हमेशा अच्छे कर्म करने और उनकी शक्ति पर विश्वास रखने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 9, श्लोक 27
यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्॥ (भगवद गीता 9.27)
हिंदी: हे कौन्तेय, जो कुछ भी तुम करते हो, जो कुछ भी खाते हो, जो कुछ भी यज्ञ करते हो, जो कुछ भी दान देते हो और जो भी तपस्या करते हो, उसे मेरी अर्पण करो।
English Translation: Whatever you do, whatever you eat, whatever you offer or give away, and whatever austerities you perform—do that, O son of Kunti, as an offering to Me.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण इस (Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi) श्लोक में कहते हैं कि हमारे सभी कर्म, भोग, यज्ञ, दान और तपस्या को भगवान को अर्पण करना चाहिए। यह श्लोक हमें प्रत्येक कार्य को भगवान की भक्ति के रूप में करने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 10, श्लोक 10
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते॥ (भगवद गीता 10.10)
हिंदी: जो लोग मुझमें सदा लगे रहते हैं और प्रेमपूर्वक मेरी भक्ति करते हैं, उन्हें मैं वह बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझ तक पहुँचते हैं।
English Translation: To those who are constantly devoted and who worship Me with love, I give the understanding by which they can come to Me.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि जो भक्त प्रेमपूर्वक उनकी भक्ति करते हैं, उन्हें वे ऐसा ज्ञान देते हैं जिससे वे भगवान तक पहुँच सकते हैं। यह श्लोक हमें भगवान की भक्ति में दृढ़ता और प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
अध्याय 18, श्लोक 9
कार्यं इति एव यत् कर्म नियतं क्रियते अर्जुन।
सङ्गं त्यक्त्वा फलं चैव स त्यागः सात्त्विको मतः॥ (भगवद गीता 18.9)
हिंदी: हे अर्जुन, जो कार्य केवल कर्तव्य मानकर फल और आसक्ति को त्यागकर किया जाता है, वह सात्त्विक त्याग कहलाता है।
English Translation: O Arjuna, when one performs his prescribed duty only because it ought to be done, and renounces all attachment and desire for reward, that renunciation is considered to be in the mode of goodness.
हिंदी अनुवाद: भगवान कृष्ण बताते हैं कि जो व्यक्ति कर्तव्य के रूप में कार्य करता है और फल और आसक्ति को त्याग देता है, वह सात्त्विक त्याग कहलाता है। यह श्लोक हमें निष्काम कर्म और कर्तव्यपरायणता की प्रेरणा देता है।
भगवत गीता के 24 सबसे लोकप्रिय श्लोक हिंदी में अर्थ के साथ
निष्कर्ष
Bhagwat Geeta Shlok With Meaning In Hindi केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि ये जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं। ये श्लोक हमें आत्मज्ञान, कर्म का महत्व, आत्मविश्वास, समता, और संतुलन की भावना विकसित करने में मदद करते हैं। आधुनिक जीवन में भी गीता के श्लोकों का महत्व उतना ही है जितना महाभारत के समय था। हमें भगवद गीता के श्लोकों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और इनसे प्राप्त ज्ञान का लाभ उठाना चाहिए।
FAQs
Bhagwat Geeta Shlok का महत्व क्या है?
Bhagwat Geeta Shlok जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं और हमें सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
भगवद गीता के श्लोकों का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
गीता के श्लोक आत्मज्ञान, आत्मा की शांति, और परमात्मा के साथ एकत्व की भावना विकसित करते हैं।
भगवद गीता के श्लोकों का आधुनिक जीवन में उपयोग कैसे किया जा सकता है?
आधुनिक जीवन में गीता के श्लोक तनाव मुक्त जीवन जीने, आत्मविश्वास बढ़ाने, और सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
भगवद गीता को किसने लिखा?
भगवद गीता महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। इसे महर्षि वेदव्यास ने लिखा था।