Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi: भगवत गीता के 24 सबसे लोकप्रिय श्लोक हिंदी में अर्थ के साथ

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Bhagwat Geeta Shlok In Hindi: भगवद गीता के पहले अध्याय की शुरुआत में हमें कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर ले जाया जाता है, जहां कौरव और पांडव सेनाएँ आमने-सामने खड़ी हैं। श्लोक 1 से 27 तक, हम देखते हैं कि धृतराष्ट्र अपने सारथी संजय से युद्ध के मैदान की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं। संजय, जो दिव्य दृष्टि से सम्पन्न हैं, धृतराष्ट्र को युद्ध के प्रारंभिक दृश्य का वर्णन करते हैं।

इन श्लोकों में, अर्जुन अपने सारथी श्रीकृष्ण से युद्धभूमि में दोनों पक्षों की सेना को देखने के लिए रथ को बीच में खड़ा करने का अनुरोध करते हैं। जब अर्जुन अपने परिवार, गुरुजनों और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखता है, तो उसका मन व्याकुल हो उठता है। उसे अपने प्रियजनों के विरुद्ध युद्ध करने में संकोच और द्वंद्व का अनुभव होता है।

आइए, इस Bhagwat Geeta Shlok In Hindi के महत्वपूर्ण संवाद की गहराई को समझते हुए अर्जुन की मनःस्थिति का विश्लेषण करें और जानें कि युद्ध के मैदान में खड़े होकर उसके मन में क्या-क्या विचार उमड़ रहे थे।

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श्लोक 1

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Bhagwat Geeta Shlok In Hindi: श्लोक 5

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निष्कर्ष

Bhagwat Geeta Shlok In Hindi श्लोक 1 से 27 तक के इस भाग में हमने देखा कि अर्जुन की मनःस्थिति कैसे धीरे-धीरे बदलती है। युद्ध के प्रारंभिक दृश्य ने उसे गहन आत्ममंथन और संदेह की स्थिति में ला खड़ा किया। अर्जुन के मन में उठ रहे इन विचारों और भावनाओं ने उसे कर्तव्य और धर्म के बीच द्वंद्व की स्थिति में डाल दिया। यह भाग हमें यह सिखाता है कि जब हम अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं, Bhagwat Geeta Shlok In Hindi तब हमारे भीतर भी ऐसे ही संदेह और द्वंद्व उत्पन्न हो सकते हैं।

अगले ब्लॉग में हम देखेंगे कि अर्जुन के इस मानसिक संघर्ष का समाधान श्रीकृष्ण कैसे करते हैं और उन्हें सही मार्ग पर कैसे ले जाते हैं। इस यात्रा में हमारे साथ बने रहें और गीता के गहन संदेशों को समझने का प्रयास करें। धन्यवाद |

FAQ : Bhagwat Geeta Shlok In Hindi (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. प्रश्न: धृतराष्ट्र ने संजय से क्या पूछा और क्यों?

उत्तर: धृतराष्ट्र ने संजय से कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में हो रही घटनाओं का वर्णन करने को कहा क्योंकि वह स्वयं नेत्रहीन थे और युद्ध की स्थिति को जानने के लिए उत्सुक थे।

2. प्रश्न: अर्जुन ने श्रीकृष्ण से क्या अनुरोध किया और क्यों?

उत्तर: अर्जुन ने श्रीकृष्ण से अनुरोध किया कि वे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा करें ताकि वह अपने युद्ध में शामिल होने वाले योद्धाओं को देख सके। यह अनुरोध अर्जुन के मन में युद्ध के प्रति संकोच और द्वंद्व की भावना के कारण किया गया था।

3. प्रश्न: अर्जुन की मानसिक स्थिति श्लोक 1 से 27 के दौरान कैसे बदलती है?

उत्तर: प्रारंभ में अर्जुन युद्ध के लिए तैयार था, लेकिन जब उसने अपने परिवार, गुरुजनों और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखा, तो उसका मन व्याकुल हो गया और उसे युद्ध करने में संकोच और द्वंद्व का अनुभव होने लगा।

4. प्रश्न: अर्जुन के इस संकोच और द्वंद्व का कारण क्या था?

उत्तर: अर्जुन का संकोच और द्वंद्व इस विचार से उत्पन्न हुआ कि उसे अपने ही परिवार और प्रियजनों के विरुद्ध युद्ध करना है, जिससे परिवारों का विनाश और समाज में अधर्म फैलने का खतरा है।

 5. प्रश्न: इन श्लोकों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

उत्तर: इन श्लोकों का हमारे जीवन में महत्व यह है कि यह हमें सिखाते हैं कि कठिन परिस्थितियों में हमें आत्ममंथन करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सही मार्ग पर चलना चाहिए। यह भाग हमें यह भी सिखाता है कि संकट के समय में हमारे मन में उत्पन्न होने वाले संदेह और द्वंद्व का समाधान हमें ज्ञान और सही मार्गदर्शन से मिल सकता है।

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