Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi: गीता के श्लोकों में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कई महत्वपूर्ण बातें समझाईं हैं। जब मैं गीता के श्लोक पढ़ता हूँ या सुनता हूँ, तो मेरे मन से जीवन और मृत्यु का भय निकल जाता है। हमें बिना किसी फल की चिंता किए हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारे वश में है, लेकिन उसका परिणाम हमारे नियंत्रण में नहीं है। इसलिए, जो हमारे नियंत्रण में है, उसे हमें करना चाहिए और जो हमारे नियंत्रण में नहीं है, उसे भगवान के हाथों में सौंप देना चाहिए। गीता हमें ऐसी ही अनेक महत्वपूर्ण बातें सिखाती है।
गीता के श्लोक न केवल हिंदुओं को, बल्कि अन्य समुदायों के लोगों को भी पढ़ने चाहिए। गीता भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत विश्व का पहला सनातन धर्म वाला देश है। यहाँ के धर्मगुरुओं को पूरे विश्व में सम्मानित किया जाता है, और कभी भारत को विश्व गुरु भी कहा जाता था। इस देश में ऐसे चमत्कार होते हैं, जो अन्य देशों में असंभव प्रतीत होते हैं।
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भगवान जो चमत्कार भारत में करते हैं, वे वैज्ञानिकों के लिए भी अकल्पनीय होते हैं। महाभारत युद्ध के समय, स्वयं भगवान श्री कृष्ण, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। संजय ने इस उपदेश को देखा और सुना, और महाराज धृतराष्ट्र को बताया।
Geeta Shlok In Hindi And English: Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi | गीता के श्लोक हिंदी में
भगवद गीता 2.47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अनुवाद: हे अर्जुन, तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में नहीं। इसलिए तू कर्मफल का कारण भी मत बन और न ही अकर्मण्यता में आसक्त हो।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि उसका अधिकार केवल कर्म करने तक सीमित है, और उसे कभी भी उसके फलों के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए। फल की इच्छा से कर्म करने से मनुष्य बंधन में फँस जाता है। इसलिए, उसे निष्काम भाव से, बिना किसी फल की आकांक्षा के अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और अकर्मण्यता (कर्म न करने की प्रवृत्ति) से बचना चाहिए।
Explanation in English: Lord Krishna tells Arjuna that he has the right to perform his duties, but he should not be attached to the outcomes or results of those actions. By performing actions with a desire for the results, one gets bound by those actions. Therefore, he should perform his duties selflessly, without any desire for the fruits, and avoid the tendency of inaction- Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi.
भगवद गीता 3.9
यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर॥
अनुवाद: यह संसार यज्ञ के लिए किए गए कर्मों के अलावा अन्य कर्मों से बंधन में फँस जाता है। इसलिए, हे अर्जुन, तू आसक्ति रहित होकर कर्तव्य कर्म कर।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि यह संसार यज्ञ (सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए किए गए कार्य) के लिए किए गए कर्मों के अलावा अन्य कर्मों से बंधन में फँस जाता है। इसलिए, अर्जुन को आसक्ति रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और समाज एवं धर्म के प्रति अपने दायित्वों को निभाना चाहिए।
Explanation in English: Lord Krishna explains that except for actions performed as a sacrifice for the welfare of society and spirituality, all other actions lead to bondage in this world. Therefore, Arjuna should perform his duties without attachment, fulfilling his responsibilities towards society and spiritual practices.
भगवद गीता 4.7
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अनुवाद: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं की सृष्टि करता हूँ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जब-जब धर्म का पतन होता है और अधर्म का प्रचलन बढ़ता है, तब-तब वे स्वयं (अवतार लेकर) इस संसार में आते हैं। इसका उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म का नाश करना होता है।
Explanation in English: Lord Krishna tells Arjuna that whenever there is a decline in righteousness and an increase in unrighteousness, He incarnates Himself in this world. The purpose of His incarnation is to reestablish righteousness and to destroy evil.
भगवत गीता के 700 श्लोक PDF हिंदी में
भगवद गीता 4.8
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
अनुवाद: साधु पुरुषों की रक्षा करने, दुष्टों का विनाश करने और धर्म की स्थापना के लिए, मैं प्रत्येक युग में प्रकट होता हूँ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे साधु-संतों की रक्षा करने, दुष्टों का विनाश करने और धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए प्रत्येक युग में अवतार लेते हैं। इसका उद्देश्य समाज में संतुलन बनाए रखना और धर्म की रक्षा करना है।
Explanation in English: Lord Krishna explains that to protect the righteous, to annihilate the wicked, and to reestablish the principles of dharma, He incarnates Himself in every age. This is to maintain balance and uphold righteousness in the world.
भगवद गीता 5.10
ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।
लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा॥
अनुवाद: जो व्यक्ति समस्त कर्मों को ब्रह्म (ईश्वर) को अर्पित कर, आसक्ति को त्यागकर कार्य करता है, वह पाप से उसी प्रकार अछूता रहता है जैसे पानी से कमल का पत्ता।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति सभी कर्मों को ब्रह्म (ईश्वर) को अर्पित कर देता है और आसक्ति को त्याग कर कार्य करता है, वह पाप से अछूता रहता है। यह स्थिति उस कमल के पत्ते के समान है जो पानी में रहते हुए भी पानी से अछूता रहता है।
Explanation in English: Lord Krishna states that one who performs all actions as an offering to the Supreme, renouncing attachment, remains untouched by sin, just as a lotus leaf remains unaffected by water.
भगवद गीता 6.5
उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥
अनुवाद: मनुष्य को अपने आत्मा द्वारा अपने को ऊपर उठाना चाहिए, न कि नीचे गिराना चाहिए। आत्मा ही मनुष्य का मित्र है और आत्मा ही मनुष्य का शत्रु है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को अपने आत्मा के द्वारा अपने को ऊपर उठाना चाहिए और अपने को नीचे गिरने नहीं देना चाहिए। आत्मा ही मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है और यदि आत्मा पर विजय नहीं प्राप्त की तो आत्मा ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
Explanation in English: Lord Krishna advises that one should elevate oneself through one’s own mind and not degrade oneself. The mind is the friend of the conditioned soul, and it is also its enemy.
भगवद गीता 6.6
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥
अनुवाद: जिसने अपने मन को जीत लिया है, उसके लिए उसका मन मित्र के समान है। लेकिन जिसने अपने मन को नहीं जीता, उसका मन शत्रु के समान है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जिसने अपने मन को नियंत्रित कर लिया है, उसके लिए मन मित्र के समान है। लेकिन जिसने अपने मन पर विजय प्राप्त नहीं की है, उसके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता है।
Explanation in English: Lord Krishna explains that for one who has conquered the mind, the mind is the best of friends. But for one who has failed to do so, the mind will remain the greatest enemy.
भगवद गीता 8.7
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्॥
अनुवाद: इसलिए सभी समय में मुझे स्मरण कर और युद्ध कर। अपने मन और बुद्धि को मुझ में लगा कर तू निःसंदेह मुझ तक पहुँचेगा।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि उसे सभी समय में भगवान का स्मरण करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। मन और बुद्धि को भगवान में स्थिर करके वह निश्चित रूप से भगवान को प्राप्त करेगा।
Explanation in English: Lord Krishna tells Arjuna to always remember Him and at the same time perform his duty of fighting. By dedicating his mind and intellect to Krishna, Arjuna will undoubtedly reach Him.
भगवद गीता 9.22
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
अनुवाद: जो भक्त अनन्य भाव से मेरी आराधना करते हैं और निरंतर मेरा चिंतन करते हैं, उनके योग-क्षेम (प्राप्ति और संरक्षण) का मैं स्वयं ख्याल रखता हूँ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भक्त अनन्य भाव से उनकी आराधना करते हैं और निरंतर उनका चिंतन करते हैं, उनकी प्राप्ति और संरक्षण का कार्य वे स्वयं करते हैं। इसका अर्थ यह है कि भक्तों की हर प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति भगवान स्वयं करते हैं।
Explanation in English: Lord Krishna promises that for those who are devoted to Him with exclusive devotion and constantly meditate on Him, He takes care of their needs and sustains them, ensuring their well-being and protection.
Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi
भगवद गीता 18.66
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
अनुवाद: सभी धर्मों को त्यागकर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, तुम शोक मत करो।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि वह सभी धर्मों (कर्तव्यों) को त्याग कर केवल भगवान की शरण में आ जाए। भगवान उसे सभी पापों से मुक्त कर देंगे और वह शोक न करे। इसका अर्थ यह है कि भगवान की शरण में जाने से सभी प्रकार के पाप और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
Explanation in English: Lord Krishna instructs Arjuna to abandon all varieties of dharma and simply surrender unto Him. By doing so, Krishna will liberate him from all sins, and there is no need to worry. This signifies that surrendering to God brings freedom from all forms of sin and suffering.
bhagwat geeta shlok (bhagavad gita quotes) | भगवत गीता श्लोक हिंदी: Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi
भगवद गीता 2.20
न जायते म्रियते वा कदाचित्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
अनुवाद: आत्मा न कभी जन्म लेता है और न ही कभी मरता है। यह न तो जन्म ले चुका है, न ही यह भविष्य में जन्म लेगा। यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुराण है। शरीर के नष्ट होने पर भी यह नष्ट नहीं होता।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा न जन्म लेता है और न मरता है। यह नित्य, शाश्वत और पुराण है। शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती। आत्मा अमर है और इसके अस्तित्व को कोई भी समाप्त नहीं कर सकता।
Explanation in English: Lord Krishna explains that the soul is neither born nor does it ever die. It is eternal, everlasting, and primeval. Even when the body is destroyed, the soul is not annihilated. The soul is immortal and cannot be extinguished.
भगवद गीता 3.21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
अनुवाद: श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग भी वैसा ही आचरण करते हैं। वह जैसा आदर्श प्रस्तुत करता है, लोग भी वैसे ही उसका अनुसरण करते हैं।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करता है, अन्य लोग भी उसका अनुसरण करते हैं। इसलिए, एक नेता या आदर्श पुरुष को हमेशा अच्छा आचरण करना चाहिए क्योंकि लोग उसे देखकर ही सीखते हैं और वैसा ही करते हैं।
Explanation in English: Lord Krishna explains that whatever action a great man performs, common men follow. Whatever standards he sets by his exemplary acts, the entire world pursues. Therefore, a leader or role model should always perform good actions as others look up to him and emulate his behavior.
भगवद गीता 4.13
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्॥
अनुवाद: चार वर्णों का विभाजन मैंने गुण और कर्म के आधार पर किया है। हालांकि मैं इसका कर्ता हूँ, फिर भी तू मुझे अकर्तार और अविनाशी समझ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि समाज में चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का विभाजन गुण (स्वभाव) और कर्म (कार्य) के आधार पर उन्होंने किया है। यद्यपि वे इसका स्रष्टा हैं, फिर भी वे इस सृष्टि से अप्रभावित और अविनाशी हैं।
Explanation in English:Lord Krishna states that the four divisions of human society (Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas, and Shudras) were created by Him based on the qualities (gunas) and actions (karma) of people. Though He is the creator of this system, He should be understood as the non-doer and imperishable.
भगवद गीता 5.18
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः॥
अनुवाद: विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में पण्डित लोग समदर्शी होते हैं।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ज्ञानी व्यक्ति विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में समान दृष्टि रखता है। यह समदर्शन का भाव ही सच्चे ज्ञान का प्रमाण है।
Explanation in English: Lord Krishna says that the wise see with equal vision a learned and gentle Brahmin, a cow, an elephant, a dog, and a dog-eater (outcaste). This equal vision signifies true knowledge (Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi).
भगवद गीता 6.6
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥
अनुवाद: जिसने अपने मन को जीत लिया है, उसके लिए उसका मन मित्र के समान है। लेकिन जिसने अपने मन को नहीं जीता, उसका मन शत्रु के समान है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जिसने अपने मन को नियंत्रित कर लिया है, उसके लिए मन मित्र के समान है। लेकिन जिसने अपने मन पर विजय प्राप्त नहीं की है, उसके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता है।
Explanation in English: Lord Krishna explains that for one who has conquered the mind, the mind is the best of friends. But for one who has failed to do so, the mind will remain the greatest enemy.
भगवद गीता 7.3
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः॥
अनुवाद: हजारों मनुष्यों में से कोई एक ही सिद्धि के लिए प्रयास करता है, और उन सिद्ध पुरुषों में से भी कोई एक ही मुझे वास्तव में जान पाता है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हजारों मनुष्यों में से कोई एक ही सिद्धि (आत्म-साक्षात्कार) के लिए प्रयास करता है, और उन सिद्ध पुरुषों में से भी कोई एक ही वास्तव में भगवान को जान पाता है। यह भगवान के स्वरूप की गहनता को दर्शाता है।
Explanation in English: Lord Krishna states that among thousands of men, hardly one strives for perfection, and among those who have achieved perfection, hardly one knows Him in truth. This highlights the profound and rare understanding of the Divine (Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi).
भगवद गीता 9.22
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
अनुवाद: जो भक्त अनन्य भाव से मेरी आराधना करते हैं और निरंतर मेरा चिंतन करते हैं, उनके योग-क्षेम (प्राप्ति और संरक्षण) का मैं स्वयं ख्याल रखता हूँ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भक्त अनन्य भाव से उनकी आराधना करते हैं और निरंतर उनका चिंतन करते हैं, उनकी प्राप्ति और संरक्षण का कार्य वे स्वयं करते हैं। इसका अर्थ यह है कि भक्तों की हर प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति भगवान स्वयं करते हैं।
Explanation in English: Lord Krishna promises that for those who are devoted to Him with exclusive devotion and constantly meditate on Him, He takes care of their needs and sustains them, ensuring their well-being and protection.
भगवद गीता 10.20
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च॥
अनुवाद: हे अर्जुन, मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ। मैं ही सभी प्राणियों का आदि, मध्य और अंत हूँ।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हैं। वे ही सभी प्राणियों का आदि, मध्य और अंत हैं। इसका अर्थ यह है कि भगवान ही समस्त सृष्टि के मूल, मध्य और अंत हैं।
Explanation in English: Lord Krishna tells Arjuna that He is the soul residing in the hearts of all beings. He is the beginning, middle, and end of all creation. This signifies that God is the source, sustainer, and ultimate end of all existence. Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi
भगवद गीता 11.55
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव॥
अनुवाद: जो व्यक्ति मेरे लिए कर्म करता है, मुझे परम मानता है, मेरा भक्त है, और सभी प्राणियों के प्रति निर्वैर (द्वेष रहित) है, वह मुझे प्राप्त होता है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति भगवान के लिए कर्म करता है, उन्हें ही परम मानता है, भगवान का भक्त है, और सभी प्राणियों के प्रति द्वेष रहित है, वह व्यक्ति भगवान को प्राप्त होता है। इसका अर्थ यह है कि भक्ति, निष्काम कर्म, और द्वेष रहितता से भगवान की प्राप्ति होती है।
Explanation in English: Lord Krishna says that one who works for Him, considers Him the supreme goal, is devoted to Him, free from attachments, and free from enmity towards all beings, that person reaches Him. This implies that through devotion, selfless action, and non-maliciousness, one can attain God (Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi).
भगवद गीता 12.13-14
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी॥
सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥
अनुवाद: जो व्यक्ति सभी प्राणियों से द्वेष रहित, मित्रवत और करुणावान है, जो निर्मोही, निरहंकारी, समदुःखसुखी और क्षमाशील है, जो सतत संतुष्ट और योग में स्थित है, जिसका आत्मसंयम दृढ़ है, जिसकी बुद्धि और मन मुझ में स्थित है, वह मेरा भक्त मुझे प्रिय है।
Explanation in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति सभी प्राणियों से द्वेष रहित, मित्रवत, और करुणावान है, जो मोह और अहंकार से मुक्त है, जो दुःख-सुख में समान रहता है, क्षमाशील है, सतत संतुष्ट और योग में स्थित है, जिसका आत्मसंयम दृढ़ है, जिसकी बुद्धि और मन भगवान में स्थिर है, वह भगवान का प्रिय भक्त है।
Explanation in English: Lord Krishna says that one who is free from malice towards others, friendly and compassionate, free from possessiveness and ego, balanced in pleasure and pain, forgiving, always content, and engaged in yoga with a firm resolve, with mind and intellect dedicated to Him, such a devotee is very dear to Him.
निष्कर्ष (Conclusion)
Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi भगवद गीता के श्लोक न केवल अर्जुन को प्रेरित करने के लिए बल्कि हम सभी के जीवन को दिशा देने के लिए भी हैं। गीता हमें सिखाती है कि हमें अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए, बिना फल की चिंता किए। यह हमें जीवन और मृत्यु के भय से मुक्त करती है और हमें सच्ची शांति और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है। गीता का ज्ञान सार्वभौमिक है और सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को इससे लाभ हो सकता है।
FAQs
1. गीता के श्लोक किसने और कब कहे थे? (Who said the verses of the Gita and when?)
Hindi: गीता के श्लोक भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को कहे थे। यह उस समय हुआ जब अर्जुन युद्ध करने से हिचकिचा रहे थे।
English: The verses of the Gita were spoken by Lord Krishna to Arjuna during the time of the Mahabharata war. This happened when Arjuna was hesitant to fight in the (Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi) battle.
2. गीता के श्लोकों का मुख्य संदेश क्या है? (What is the main message of the Gita’s verses?)
Hindi: गीता के श्लोकों का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपने कर्मों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए, बिना उनके फल की चिंता किए। कर्म करना हमारे हाथ में है, लेकिन परिणाम भगवान के हाथ में है।
English: The main message of the Gita’s verses is that we should perform our duties with full dedication and sincerity, without worrying about the results. Our actions are in our hands, but the outcomes are in the hands of God.
3. गीता के श्लोक हमें क्या सिखाते हैं? (What do the verses of the Gita teach us?)
Hindi: गीता के श्लोक हमें जीवन और मृत्यु के भय से मुक्त होना, अपने कर्तव्यों का पालन करना, आत्म-साक्षात्कार और सच्ची शांति प्राप्त करना सिखाते हैं।
English: The verses of the Gita teach us to be free from the fear of life and death, to follow our duties, and to achieve self-realization and true peace.
4. गीता के श्लोक कौन-कौन से पढ़ सकते हैं? (Who can read the verses of the Gita?)
Hindi: गीता के श्लोक न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए हैं, बल्कि सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को इन्हें पढ़ना और उनसे लाभ उठाना चाहिए।
English: The verses of the Gita are not just for followers of Hinduism but should be read and benefited from by people of all religions and communities.
गीता के श्लोकों का अध्ययन कैसे करें? (How should one study the verses of the Gita?)
Hindi: गीता के श्लोकों का अध्ययन ध्यान और समझ के साथ करना चाहिए। उन्हें पढ़ते समय उनके गहरे अर्थ को समझने की कोशिश करें और उन्हें अपने जीवन में लागू करें। गीता पर आधारित पुस्तकें और विशेषज्ञों की व्याख्याएँ भी सहायक हो सकती हैं।
English: The verses of the Gita should be studied with focus and understanding. Try to grasp their deeper meaning while (Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning In Hindi) reading and apply them to your life. Books based on the Gita and interpretations by experts can also be helpful.