नमस्कार प्यारे पाठक
51+ Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi With Meaning:- मानवता के लिए भगवद गीता एक पवित्र ग्रंथ है, जिसे हम सभी श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं। यह महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है। इस महान ग्रंथ में, अर्जुन—a brave warrior—युद्धभूमि में अपने सवालों और शंकाओं से जूझते हुए भगवान श्रीकृष्ण से ज्ञान प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि इस ग्रंथ के 700 श्लोक और 18 अध्याय (Adhyay) हमें धर्म के अनुसार जीवन जीने का मार्गदर्शन देते हैं। गीता की सीख timeless है, जो हर उम्र और दौर के लोगों के लिए relevant है।
चलिए, हम साथ मिलकर इस गीता की journey पर चलें और इसके अंदर छुपे अमूल्य रहस्यों को जानें।
भगवद गीता के इन 700 श्लोकों में से भगवान श्रीकृष्ण ने 574 श्लोक कहे हैं, अर्जुन ने 84 श्लोक, संजय ने 41 श्लोक और धृतराष्ट्र ने एक श्लोक कहा है। महर्षि वेद व्यास को इस महान ग्रंथ के लेखक के रूप में माना जाता है, जिनकी ज्ञान और depth आज भी हमें प्रेरित करती है।
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Table of Contents
तो आइए, इस divine journey में हमारे साथ जुड़ें और गीता के eternal संदेश को अपनाएँ!
Motivational Popular Bhagwat geeta shlok in hindi with meaning | प्रेरक लोकप्रिय भागवत गीता श्लोक हिंदी में अर्थ सहित
भगवद गीता 2.47
संस्कृत:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अनुवाद:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, उसके फलों पर नहीं। इसलिए, कर्म के फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करो, और अकर्मण्यता (कर्म न करना) में तुम्हारी आसक्ति न हो।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कर्म करते समय फल की चिंता मत करो। केवल अपने कर्तव्य का पालन करो, यह समझकर कि कर्म तुम्हारे हाथ में है, लेकिन फल तुम्हारे नियंत्रण में नहीं है। यह प्रेरणा देता है कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए।
Explanation in English:
Lord Krishna advises focusing on performing one’s duty without worrying about the results. This teaches that our focus should be on our actions, not on the fruits of those actions, motivating us to give our best without fear of outcomes.
भगवद गीता 2.14
संस्कृत:
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः। आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥
अनुवाद:
हे कौन्तेय, सुख-दुःख देने वाले और ठंडे-गर्म अनुभव अस्थायी हैं; वे आते-जाते रहते हैं। हे भारत, धैर्यपूर्वक इनको सहन करो।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सुख और दुःख जीवन में अस्थायी हैं। वे समय के साथ आते-जाते रहते हैं। हमें उन्हें सहन करना चाहिए और धैर्य नहीं खोना चाहिए। यह श्लोक हमें हर परिस्थिति में शांत रहने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that pleasure and pain are temporary and will come and go. One should endure them patiently without being disturbed. This teaches us resilience and encourages us to stay calm in all situations.
Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi With Meaning
भगवद गीता 3.30
संस्कृत:
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा। निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः॥
अनुवाद:
अपने सभी कर्म मुझमें अर्पण करते हुए और बिना आसक्ति तथा ममता के शांत चित्त से अपना कर्तव्य करो।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अपने सभी कर्म भगवान को अर्पित करके निस्वार्थ भाव से काम करो। यह श्लोक हमें निरंतर उत्साह और निस्वार्थता के साथ कार्य करने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises dedicating all actions to Him, performing duties selflessly and without attachment. This shloka motivates us to work with enthusiasm and selflessness.
भगवद गीता 4.8
संस्कृत:
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
अनुवाद:
धर्म की स्थापना, सज्जनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूँ।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब भी धर्म का पतन होता है, वे सज्जनों की रक्षा और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए प्रकट होते हैं। यह श्लोक हमें यह विश्वास दिलाता है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।
Explanation in English:
Lord Krishna says He incarnates in every age to protect the righteous, destroy evil-doers, and restore Dharma. This shloka reassures us that truth and righteousness ultimately prevail.
भगवद गीता 6.5
संस्कृत:
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥
अनुवाद:
मनुष्य को स्वयं ही अपना उद्धार करना चाहिए, उसे खुद को गिराना नहीं चाहिए। क्योंकि आत्मा ही उसका मित्र है और आत्मा ही उसका शत्रु है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं ही अपने उद्धार के लिए प्रयास करना चाहिए, क्योंकि उसका मन ही उसका मित्र या शत्रु बन सकता है। यह श्लोक आत्म-संयम और आत्म-विकास का महत्व बताता है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises that one should uplift oneself through one’s own efforts and not degrade oneself, as the mind can be both a friend and an enemy. This shloka emphasizes self-discipline and self-development.
Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi With Meaning
भगवद गीता 7.16
संस्कृत:
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ॥
अनुवाद:
हे अर्जुन, चार प्रकार के लोग मेरी भक्ति करते हैं – कष्ट में पड़े हुए, जिज्ञासु, धन की इच्छा रखने वाले, और ज्ञानी।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि चार प्रकार के भक्त उनकी शरण में आते हैं, जिसमें कष्ट में पड़े हुए, जिज्ञासु, अर्थ की कामना करने वाले, और ज्ञानी शामिल हैं। यह श्लोक भक्तों को उनकी भक्ति के कारणों के प्रति जागरूक करता है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that four types of people worship Him: those in distress, the inquisitive, seekers of wealth, and the wise. This shloka helps devotees become aware of the motivations behind their devotion.
भगवद गीता 8.7
संस्कृत:
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्॥
अनुवाद:
इसलिए तुम हर समय मेरा स्मरण करते हुए युद्ध करो। जिस व्यक्ति का मन और बुद्धि मुझमें स्थित है, वह निःसंदेह मुझे प्राप्त होता है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को हर समय भगवान का स्मरण करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। इस श्लोक से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि भगवान का ध्यान रखते हुए अपने कर्म में लीन रहना चाहिए।
Explanation in English:
Lord Krishna advises remembering Him always while performing one’s duty. This shloka inspires us to stay focused on our tasks while keeping God in our thoughts.
भगवद गीता 10.10
संस्कृत:
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्। ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते॥
अनुवाद:
जो लोग प्रेमपूर्वक मेरी भक्ति करते हैं और सतत मुझमें स्थित रहते हैं, उन्हें मैं वह बुद्धि प्रदान करता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त करते हैं।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति प्रेम और श्रद्धा से उनकी भक्ति में लीन रहते हैं, उन्हें भगवान वह बुद्धि प्रदान करते हैं जो उन्हें परमात्मा की प्राप्ति में सहायक होती है। यह श्लोक भक्तों को अपनी भक्ति में स्थिर रहने के लिए प्रेरित करता है।
Explanation in English:
Lord Krishna says that He gives divine wisdom to those who worship Him with love, enabling them to reach Him. This shloka encourages devotees to stay dedicated in their devotion.
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भगवद गीता 13.8-12
संस्कृत:
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम्। आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः॥
अनुवाद:
अहंकार से रहित, अहिंसा, सहनशीलता, सरलता, गुरु की सेवा, पवित्रता, दृढ़ता और आत्मसंयम जैसे गुण ज्ञान में आवश्यक हैं।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि विनम्रता, अहिंसा, सहनशीलता, और आत्म-संयम जैसे गुण ही वास्तविक ज्ञान का आधार होते हैं। ये गुण किसी भी व्यक्ति को आत्म-विकास के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।
Explanation in English:
Lord Krishna lists qualities such as humility, non-violence, patience, and self-discipline as essential to true knowledge. These qualities encourage personal growth and self-development.
भगवद गीता 18.23
संस्कृत:
नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्। अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते॥
अनुवाद:
जो कर्म नियत, आसक्ति रहित और राग-द्वेष से रहित होकर फल की इच्छा किए बिना किया जाता है, उसे सात्त्विक (शुद्ध) कर्म कहते हैं।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो कर्म बिना किसी आसक्ति और फल की कामना के किया जाता है, वही सात्त्विक कर्म है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि निष्काम कर्म का महत्व ही सबसे श्रेष्ठ है।
Explanation in English:
Lord Krishna states that actions performed without attachment, free from desire, and without the hope for rewards are considered pure (sattvic). This shloka teaches the value of selfless action.
bhagwat geeta shlok in hindi with meaning For Student | भगवत गीता के लोकप्रिय श्लोक भावार्थ के साथ
भगवद गीता 2.41
संस्कृत:
व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्॥
अनुवाद:
हे अर्जुन, दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति का लक्ष्य एक होता है, जबकि संकल्पहीन लोगों की बुद्धि अनेक शाखाओं में बँटी होती है और अनंत होती है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि एक दृढ़ निश्चय वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है, जबकि अस्थिर मन वाला अनेक दिशाओं में भटकता रहता है। यह श्लोक छात्रों को एकाग्रता बनाए रखने और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna says that a determined person has a single-minded focus on their goal, while an unfocused mind wanders in many directions. This shloka encourages students to concentrate on their goals and stay dedicated.
भगवद गीता 3.35
संस्कृत:
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः॥
अनुवाद:
अपना कर्तव्य, भले ही उसमें कमियाँ हों, दूसरे के अच्छे कर्तव्य से बेहतर है। अपने धर्म में मृत्यु भी कल्याणकारी है, जबकि दूसरों का धर्म भयावह है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अपने कर्तव्य का पालन करना दूसरों के कार्यों की नकल करने से बेहतर है। यह छात्रों को सिखाता है कि अपनी विशिष्टता को बनाए रखते हुए अपनी पढ़ाई और कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें।
Explanation in English:
Lord Krishna advises that it’s better to follow one’s own duties, even if imperfectly, rather than trying to imitate others. This motivates students to focus on their own studies and responsibilities without comparing with others.
भगवद गीता 4.34
संस्कृत:
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया। उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥
अनुवाद:
ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनम्रता से प्रश्न करो और सेवा करो। जो ज्ञानी और तत्त्व को जानने वाले हैं, वे तुम्हें ज्ञान देंगे।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनम्रता से प्रश्न पूछना चाहिए। यह छात्रों को अपने शिक्षकों का सम्मान करते हुए उनसे प्रश्न पूछने के महत्व को समझाता है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises that to gain knowledge, one should ask questions humbly and serve with respect. This encourages students to value their teachers and seek knowledge respectfully.
भगवद गीता 5.12
संस्कृत:
यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्। स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दन्ति मानवाः॥
अनुवाद:
सभी प्राणियों की उत्पत्ति जिसके द्वारा हुई है और जो सभी में व्याप्त है, उसी की पूजा अपने कार्यों के माध्यम से करके मनुष्य सिद्धि प्राप्त करता है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कार्य के माध्यम से अपने उद्देश्य को पूरा करना ही सच्ची पूजा है। यह श्लोक छात्रों को बताता है कि पढ़ाई और परिश्रम करना ही उनका सबसे बड़ा कर्तव्य और पूजा है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that performing one’s duties is akin to worship and leads to fulfillment. This teaches students that studying and working hard is their greatest duty and devotion.
भगवद गीता 6.16
संस्कृत:
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः। न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन॥
अनुवाद:
अर्जुन, जो व्यक्ति अत्यधिक खाता है या बिल्कुल नहीं खाता, जो अधिक सोता है या जागता है, उसके लिए योग संभव नहीं है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि संतुलित जीवन शैली से ही सफलता मिलती है। यह श्लोक छात्रों को पढ़ाई, भोजन, और आराम में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises that neither excessive eating, sleeping, nor abstaining from them entirely is conducive to success. This shloka encourages students to maintain a balanced lifestyle for optimal productivity.
भगवद गीता 6.19
संस्कृत:
यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता। योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः॥
अनुवाद:
जिस प्रकार बिना हवा के दीपक की लौ स्थिर रहती है, उसी प्रकार ध्यान में स्थित योगी का मन भी स्थिर रहता है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि एकाग्रता से ध्यान में स्थिरता आती है, ठीक जैसे हवा न होने पर दीपक की लौ स्थिर रहती है। यह श्लोक छात्रों को ध्यान और एकाग्रता से पढ़ाई करने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna describes the stillness of a yogi’s mind in meditation as similar to the unwavering flame of a lamp in a windless place. This inspires students to cultivate concentration in their studies.
भगवद गीता 9.22
संस्कृत:
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
अनुवाद:
जो लोग अनन्य भाव से मेरी भक्ति करते हैं, मैं उनके योगक्षेम (सुरक्षा और भरण-पोषण) का ख्याल स्वयं रखता हूँ।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो लोग एकनिष्ठ होकर भगवान का ध्यान करते हैं, उनकी सभी आवश्यकताओं का ख्याल भगवान स्वयं रखते हैं। यह श्लोक छात्रों को निरंतरता और दृढ़ता से प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
Explanation in English:
Lord Krishna assures that those who remain devoted and focused on Him will have their needs taken care of by Him. This encourages students to stay consistent and diligent in their efforts.
भगवद गीता 13.12
संस्कृत:
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम्। एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा॥
अनुवाद:
अध्यात्म ज्ञान में निष्ठा, तत्त्व का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा और उसके अनुसंधान में लगे रहना – यही सच्चा ज्ञान है, इसके विपरीत जो है, वह अज्ञान है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अध्यात्म, भक्ति, और ज्ञान की साधना ही सच्चा ज्ञान है। यह श्लोक छात्रों को अपने ज्ञान को गहरा करने और सत्य के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करता है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that true knowledge involves devotion, spiritual wisdom, and a constant quest for truth. This encourages students to be deeply committed to learning and seeking knowledge with sincerity.
भगवद गीता 18.14
संस्कृत:
अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम्। विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पञ्चमम्॥
अनुवाद:
कार्य के लिए पाँच कारण होते हैं – आधार (शरीर), कर्ता, विभिन्न प्रकार के इंद्रियाँ, अलग-अलग प्रयास, और दैवीय इच्छा।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि प्रत्येक कार्य को सफल बनाने के लिए अलग-अलग प्रयासों की आवश्यकता होती है। यह श्लोक छात्रों को प्रेरित करता है कि हर प्रयास में समर्पण और ईमानदारी होनी चाहिए, तभी सफलता मिल सकती है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that every action has five components – the body, the doer, senses, various efforts, and divine will. This shloka encourages students to approach tasks with dedication, recognizing the role of effort and grace in success.
भगवद गीता 18.78
संस्कृत:
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥
अनुवाद:
जहां भगवान श्रीकृष्ण योगेश्वर के रूप में हैं और अर्जुन जैसे धनुर्धर हैं, वहां निश्चित रूप से विजय, समृद्धि और नीति है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि जहाँ पर भगवान का मार्गदर्शन और परिश्रमी का पराक्रम हो, वहां सफलता सुनिश्चित है। यह श्लोक छात्रों को बताता है कि यदि वे अपने परिश्रम के साथ सही मार्गदर्शन पाते हैं तो सफलता निश्चित होती है।
Explanation in English:
Lord Krishna assures that where there is divine guidance and diligent effort, there is sure success and prosperity. This motivates students to combine hard work with proper guidance to achieve their goals.
Best bhagwat geeta shlok in hindi with meaning for problem-solving | समस्या-समाधान के लिए सर्वोत्तम भगवत गीता श्लोक हिंदी में अर्थ सहित
भगवद गीता 2.48
संस्कृत:
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
अनुवाद:
हे अर्जुन, योग में स्थिर होकर सभी कार्य करो, आसक्ति को त्याग कर और सफलता-असफलता में समान रहते हुए। इस समत्व को ही योग कहा जाता है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कार्य करते समय सफलता-असफलता की चिंता नहीं करनी चाहिए। इससे हमें मानसिक संतुलन बनाए रखने और किसी भी समस्या को शांत मन से हल करने की प्रेरणा मिलती है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises that one should perform duties while remaining equanimous to success and failure. This helps in approaching problems calmly and making balanced decisions.
भगवद गीता 2.50
संस्कृत:
बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥
अनुवाद:
बुद्धि में स्थिर होकर मनुष्य अच्छे और बुरे कर्मों को त्याग देता है। इसलिए, योग में स्थिर रहकर कर्म करो, क्योंकि योग ही कार्य में कुशलता है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक बताता है कि योग (ध्यान) के माध्यम से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, जिससे हम समस्याओं का कुशलतापूर्वक सामना कर सकते हैं।
Explanation in English:
This verse explains that yoga enhances our decision-making skills, enabling us to approach challenges with greater skill and efficiency.
Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi With Meaning
भगवद गीता 3.16
संस्कृत:
एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः। अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति॥
अनुवाद:
जो इस संसार में बनाए गए चक्र का पालन नहीं करता, वह व्यर्थ में ही जीवन जीता है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक बताता है कि नियमों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं का पालन करना हमें समस्याओं से बचा सकता है।
Explanation in English:
This verse advises adhering to natural laws and order to avoid unnecessary problems, teaching us to follow discipline to reduce challenges in life.
भगवद गीता 4.39
संस्कृत:
श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
अनुवाद:
श्रद्धा रखने वाला, इंद्रियों को संयमित करने वाला व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है और उस ज्ञान से शांति को प्राप्त करता है।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि संयम और विश्वास से ज्ञान प्राप्त होता है, जो समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।
Explanation in English:
Lord Krishna teaches that self-control and faith lead to wisdom, which helps in resolving life’s challenges and finding peace.
भगवद गीता 5.20
संस्कृत:
न प्रहृष्येत् प्रियं प्राप्य नोद्विजेत् प्राप्य चाप्रियम्। स्थिरबुद्धिरसम्मूढो ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः॥
अनुवाद:
प्रिय या अप्रिय मिलने पर न प्रसन्न होना चाहिए, न उदास। स्थिर बुद्धि और ज्ञान में स्थित व्यक्ति स्थिर रहता है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक सिखाता है कि परिस्थितियों के अनुसार खुश या उदास होने की जगह स्थिर रहना चाहिए, जिससे समस्याओं का समाधान आसान होता है।
Explanation in English:
This verse teaches that staying calm in both good and bad situations helps in solving problems effectively without emotional disturbance.
भगवद गीता 6.6
संस्कृत:
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः। अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥
अनुवाद:
जो अपने मन को जीत लेता है, उसका मन उसका मित्र बन जाता है, और जो मन को नहीं जीतता, उसका मन शत्रु बन जाता है।
Explanation in Hindi:
मन को नियंत्रण में रखना समस्याओं को हल करने में मदद करता है। यह श्लोक हमें बताता है कि नियंत्रण में मन ही हमारी समस्याओं का समाधान होता है।
Explanation in English:
Controlling one’s mind aids in problem-solving. This shloka advises that a controlled mind becomes our friend in tackling challenges.
भगवद गीता 10.10
संस्कृत:
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्। ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते॥
अनुवाद:
जो मुझमें प्रेमपूर्वक भक्ति करते हैं, उनको मैं वह बुद्धि देता हूँ, जिससे वे मुझे प्राप्त करते हैं।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भक्ति और लगन से बुद्धि विकसित होती है, जिससे समस्याओं का समाधान सरल हो जाता है।
Explanation in English:
Lord Krishna explains that devotion and dedication lead to wisdom, which helps in solving problems with clarity and understanding.
भगवद गीता 18.63
संस्कृत:
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु।
अनुवाद:
इस ज्ञान पर विचार करके, जैसा तुम ठीक समझो, वैसा करो।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि निर्णय लेने से पहले विचार करो। यह श्लोक हमें समस्याओं का हल करने के लिए सही सोच का महत्व बताता है।
Explanation in English:
Lord Krishna advises thinking carefully before making decisions, highlighting the importance of sound reasoning in problem-solving.
भगवद गीता 18.66
संस्कृत:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
अनुवाद:
सभी धर्मों को त्याग कर मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, चिंता मत करो।
Explanation in Hindi:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि उनकी शरण में जाने से समस्याओं का समाधान होता है। यह श्लोक बताता है कि आत्मसमर्पण से मानसिक शांति और समाधान प्राप्त हो सकता है।
Explanation in English:
Lord Krishna assures that surrendering to Him brings liberation from all problems. This teaches that surrendering can bring mental peace and solutions.
भगवद गीता 18.78
संस्कृत:
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥
अनुवाद:
जहां योगेश्वर श्रीकृष्ण और अर्जुन जैसे योद्धा हैं, वहां निश्चित रूप से विजय, समृद्धि और नीति है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक सिखाता है कि सही मार्गदर्शन और संकल्प से सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
Explanation in English:
This shloka emphasizes that with the right guidance and determination, one can overcome any problem and achieve success.
Conclusion
Popular Bhagwat Geeta Shlok In Hindi With Meaning:- भगवद गीता के श्लोक जीवन के हर पहलू पर गहन ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। विशेष रूप से समस्याओं का समाधान करने के लिए गीता हमें मानसिक संतुलन, स्थिरता, और आत्म-नियंत्रण के महत्व को समझाती है। श्रीकृष्ण के उपदेश न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से हमें प्रेरित करते हैं बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी समस्याओं का सामना करने का साहस और समाधान ढूंढने की कुशलता प्रदान करते हैं। छात्रों और किसी भी व्यक्ति के लिए यह सीखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी कठिनाई का समाधान सही दृष्टिकोण, संतुलित सोच और निरंतर प्रयास से किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भगवद गीता किसके लिए है और इसका उद्देश्य क्या है?
उत्तर: भगवद गीता हर व्यक्ति के लिए है, चाहे वह किसी भी उम्र या अवस्था का हो। इसका उद्देश्य जीवन के प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण, कर्म के महत्व और आत्म-साक्षात्कार का मार्गदर्शन प्रदान करना है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों का सामना कैसे करना चाहिए।
2. गीता के श्लोक छात्रों को कैसे लाभ पहुंचा सकते हैं?
उत्तर: गीता के श्लोक छात्रों को एकाग्रता, आत्म-विश्वास, और दृढ़ संकल्प सिखाते हैं। यह उन्हें बताती है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए न केवल ज्ञान की, बल्कि अनुशासन और प्रयास की भी आवश्यकता होती है। गीता में निहित शिक्षा जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है।
3. गीता में “समत्व” का क्या अर्थ है, और यह समस्या समाधान में कैसे मदद करता है?
उत्तर: गीता में “समत्व” का अर्थ है सुख-दुख, लाभ-हानि में समता बनाए रखना। यह मानसिक संतुलन समस्याओं का सामना करने में मदद करता है, जिससे हम परिस्थिति के आधार पर सही निर्णय ले सकते हैं। समत्व से भावनाओं में उलझने के बजाय समस्याओं का समाधान करने में कुशलता आती है।
4. भगवद गीता में कर्म का क्या महत्व है?
उत्तर: गीता में कर्म को अत्यधिक महत्व दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि बिना फल की चिंता किए कर्म करना ही सबसे श्रेष्ठ है। यह सिद्धांत छात्रों और कार्यकर्ताओं को बताता है कि अपने प्रयास में संलग्न रहना ही उनके कर्तव्य का पालन करना है, न कि परिणामों की चिंता करना।
5. क्या गीता केवल धार्मिक ग्रंथ है या इसे जीवन जीने की कला भी माना जा सकता है?
उत्तर: भगवद गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसे जीवन जीने की एक कला भी माना जा सकता है। इसमें जीवन की कठिनाइयों का समाधान, आत्म-विकास, और समस्याओं से उबरने की प्रेरणा दी गई है। गीता का उद्देश्य मानव जीवन में संतुलन, शांतिपूर्ण विचारधारा, और सकारात्मक दृष्टिकोण लाना है।