नमस्ते!
Radha Chalisa:- मैं आपके साथ राधा चालीसा के इस गहरे भक्ति पाठ को साझा करते हुए बहुत आनंदित हूँ। यह चालीसा राधा रानी की कृपा प्राप्त करने का एक सुंदर मार्ग है, और मैं मानता हूँ कि इसे पढ़ने से मन को शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। आज के ब्लॉग पोस्ट में, मैंने राधा चालीसा का हिंदी, संस्कृत, और अंग्रेज़ी में विस्तृत रूपांतरण और प्रत्येक पद का सरल हिंदी में भावार्थ शामिल किया है। इसके साथ ही, Radha Chalisa PDF का लिंक भी साझा कर रहा हूँ, ताकि आप इसे डाउनलोड कर अपनी भक्ति को और अधिक सशक्त बना सकें।
Table of Contents
आइए, राधा रानी के इस अमृतमय पाठ को आत्मसात करें और प्रेम के इस दिव्य सफर में कदम बढ़ाएं।
राधा चालीसा | Radha Chalisa pdf
श्री गुरु चरण प्रताप ते, पायो विपिन को वास।
वरणो राधा चालीसा, रसिकानां हृदये प्रकाश।।
चरण कमल हृदये स्थापय, जीवनं भवतु धन्यं।
प्रिया सुयश नित्यं गायामि, चरण सरोजं अनन्यं।
अहो कृपामयी लाडिली, प्रिया परम उदारा।
वनविनोद सुखकारिणी, रसिकानां प्राणाधारा।
जीवन प्राणमयं ध्यायामि, नवलप्रिया सुखधामा।
वृन्दावनस्वामिनी श्री, ललितादिक अभिरामा।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
बृजे रावळे सुन्दर ग्रामे।
यत्र प्रकटिता प्रिया पुरणकामे।।१।।
नित्यं नवं रूप उज्वलमस्याः।
जय जय जय बरसाने वासिन्याः।।२।।
जय वृषभानु दुलारी राधे।
प्रियतमं नित्यं भावयामि त्वाम्।।३।।
किरिति कन्या अतिसुखदा।
श्रीदाम भ्राता मनसः प्रियदा।।४।।
ललितादिकानां प्राणप्रियं।
सर्वब्रजवसिनां सुखकारी।५।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
वृन्दावनस्य राणी सुखदा।
नागरमणि प्रिया अभिरामा।।६।।
नित्यं श्यामस्त्वां लालयति।
दृष्ट्या नयने हृदि प्रणयति।।७।।
श्याम भावितं बृजस्य शोभा।
दर्शने रसिकानां मनो लोभा।।८।।
श्री वृषभान सुता अति भोला।
कोटिसुधासिन्धुं झकझोला।।९।।
बरसानं निजधाम तस्याः।
सेवायां निवसति प्रियस्याः।।१०।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
श्रीवृषभानुभवने आगच्छति।
नित्यं नवमङ्गलं वर्धते बधायां।।११।।
विपिनराज कुञ्जे प्रव्रजति।
लताबलयः शुकाः राधां गदन्ति।।१२।।
राधा राधा यः कोऽपि गायति।
सहजं वे मोहनाय भावति।।१३।।
यः कोऽपि राधा नामं श्रावयति।
श्यामः तं शीघ्रं स्वीकुरुते।।१४।।
रसिकरसिला कुञ्जविहारिणी।
प्रियतमस्य प्रिया आनन्दवर्धिनी।।१५।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
गह्वरकुञ्जे कुटिरं विराजते।
प्रेमसरोवरं सुखं प्रजायते।।१६।।
लता बलयः शुकः यमुनायाः कूले।
राधा राधा गदन्ति सर्वे फले।।१७।।
सेवाकुञ्जे नित्यं रासरम्ये।
नागरमणिं मनसः सुखं ददति।।१८।।
शयनसेजं निज मुकुटं सुवरते।
तत्र सुखं हृदयेन न त्यजते।।१९।।
सर्वलोकानां तव यशो प्रसिद्धं।
प्रेमभक्तिं तव मंगलदं प्रददाति।।२०।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
श्री वृन्दावनं नवलनागरी।
ब्रजवनितानां वनमध्यस्थे।।२१।।
क्रीडया क्रीडायते निजललितादिक।
फूलं रहति रसिकवरनायक।।२२।।
लीलामूलं स्वरूपधामिनी।
आदिशक्तिः निजश्रुतभामिनी।।२३।।
नव नव प्यारी नवल सहेली।
विहारति सखेण अलबेली।।२४।।
सर्वब्रजस्य प्रिया ठकुराणी।
वृन्दावनं यस्याः राजधानी।।२५।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
राजति सर्वे विधिः कालः।
रसिकविहारिणी भोरोबाला।।२६।।
रवितनया पिय ध्यानं ददाति।
राधा राधा वदति सुखं प्राप्यते।।२७।।
सर्वविद्या सुप्रवीण लाडिली।
हित सजनी सुखं ददाति चाडिली।।२८।।
ब्रह्मकोटिनूपुर अवतारा।
शिवः शारदा च न पारेति।।२९।।
नखद्युति उपमा कथं दद्यात्।
कोटिशशि क्षणं क्षणं भीजेत्।।३०।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
रसिकरसिलो राधां पश्यति।
स्वजन्मं सफलं करोति।।३१।।
श्रीवृन्दावनं रसं संपत्ति।
राधारानी रसिकानां दम्पत्ति।।३२।।
कुञ्जं निकुञ्जं यदा यदा याति।
प्रियतमः करोति मुकुट छायाम्।।३३।।
नवल किशोरी यत्र चलति।
चरणरजः पिच्छ नयनं लगयति।।३४।।
मानयते स्वं भाग्यं महान।
तन्मनस्य सर्वं जडत्वं आगतम्।।३५।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
करुणामयी करुणायाः खनिः।
स्वजनस्य न कुरुते मानं।।३६।।
यः कोऽपि शरणं प्रियायाः आगच्छति।
श्यामसुन्दरः तम् अपनयते।।३७।।
प्रिये करोतु माम् निजदासी।
महलख्वासी सेवासु वासि।।३८।।
करुणां कुरु कृपया न विलम्बः।
लघु चरणानां सेवासु चेरी।।३९।।
सर्वविधेः शरण्यां त्वां श्यामे।
हित गोपालः सुखधामे।४०।।
धुनः
श्यामस्य राधे राधे वदतु मनो मम,
प्रेमरसेन रमे वृन्दावनम्।
दोहाः
नित्यं उत्थाय राधाचालीसा, पाठं कुरुते मनसा लय।
नव निकुञ्ज निज महलस्य, शीघ्रं भ्रमणं प्राप्तिं लभते।
Radha Chalisa
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Radha Chalisa pdf
Radha Chalisa Explain in Hindi, English and Sanskrit
Doha
Hindi:
श्री गुरू चरण प्रताप ते, पायो विपिन को वास।
वरणौं राधा चालीसा, रसिकन हिये प्रकाश।।
English Transliteration:
Shri Guru Charan Pratap Te, Paayo Vipin Ko Vaas,
Varano Radha Chalisa, Rasikan Hiye Prakash.
Sanskrit:
श्री गुरु चरण प्रतापात्, प्राप्तं विपिन निवासम्।
वरणयामि राधा चालीसाम्, रसिकानां हृदय प्रकाशम्।।
Explanation in Hindi:
गुरु की कृपा से मुझे वृंदावन का वास प्राप्त हुआ। इस राधा चालीसा का पाठ करके मैं इसे भक्तों के हृदयों में प्रकाशित कर रहा हूँ।
Verse 1 – Radha Chalisa
Hindi:
चरण कमल हिये राखिके, जीवन होय अब धन्य।
प्रिया सुयश नित गान करों, चरण सरोज अनन्य।।
English Transliteration:
Charan Kamal Hiye Rakhike, Jeevan Hoy Ab Dhanya,
Priya Suyash Nit Gaan Karo, Charan Saroj Ananya.
Sanskrit:
चरण कमल हृदि संस्थाप्य, जीवनं भवेत् धन्य।
प्रियस्य सुमहत्त्वं नित्यं गायामि, चरणं सरोज अनन्य।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा के चरणों को हृदय में बसाकर मेरा जीवन धन्य हो गया है। अब नित्य उनके पवित्र यश का गान करूंगा और उनकी भक्ति में लीन रहूंगा।
Verse 2
Hindi:
अहो कृपामयी लाडली, प्यारी परम उदार।
वन विनोद सुखकारिणी, रसिकन प्राणाधार।।
English Transliteration:
Aho Kripamayi Ladli, Pyari Param Udaar,
Van Vinod Sukhkarini, Rasikan Pranadhar.
Sanskrit:
अहो कृपामयी लाडली, प्यारी परम उदारा।
वनविनोदरुपेण सुखदा, रसिकानां प्राणाधारा।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा कृपामयी हैं और परम उदार हैं। वह वन विहार से सभी को सुख देती हैं और प्रेमी भक्तों की प्राणाधार हैं।
Radha Chalisa
Verse 3
Hindi:
जीवन प्राण अब बन रहो, नवल प्रिया सुखधाम।
बृज वृन्दावन स्वामिनी, ललितादिक अभिराम।।
English Transliteration:
Jeevan Pran Ab Ban Raho, Naval Priya Sukh Dham,
Brij Vrindavan Swamini, Lalitadik Abhiram.
Sanskrit:
जीवन प्राणं तिष्ठतु, नवलप्रिया सुखधाम।
बृजवृन्दावनस्वामिनी, ललितादिकाभिराम।।
Explanation in Hindi:
मेरे जीवन का अब एकमात्र उद्देश्य श्री राधा की भक्ति में लीन रहना है। वह ब्रज और वृंदावन की स्वामिनी हैं और ललिता व उनकी सखियों सहित अत्यंत मोहक हैं।
Verse 4
Hindi:
बृज में रावल सुन्दर ग्रामा।
जहँ प्रगटी प्रिया पुरण कामा।।
English Transliteration:
Brij Mein Rawal Sundar Grama,
Jahan Pragati Priya Puran Kama.
Sanskrit:
बृजे रावलः सुन्दर ग्रामः।
यत्र प्रकटिता प्रिया पूर्णकामः।।
Explanation in Hindi:
सुंदर ग्राम रावल में श्री राधा प्रकट हुईं, जो भगवान श्रीकृष्ण की परम प्रिय हैं और सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
Radha Chalisa
Verse 5
Hindi:
नित नव प्यारी रूप उजारी।
जय जय जय बरसाने वारी।।
English Transliteration:
Nit Nav Pyari Roop Ujari,
Jai Jai Jai Barsane Wari.
Sanskrit:
नित्य नवं प्यारी रूपम् उज्ज्वल।
जय जय जय बरसानावासिनी।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा प्रतिदिन नए रूप में प्रकट होती हैं, जो अत्यंत उज्ज्वल और सुंदर है। बरसाना की रानी राधा की जय हो!
Verse 6
Hindi:
जय वृषभानु दुलारी राधे।
प्रितम प्यारो नित्य आराधे।।
English Transliteration:
Jai Vrishabhanu Dulari Radhe,
Pritam Pyaro Nitya Aradhe.
Sanskrit:
जय वृषभानु दुलारी राधे।
प्रियतमं नित्यं आराध्ये।।
Explanation in Hindi:
वृषभानु महाराज की दुलारी राधा की जय हो। वह नित्य अपने प्रिय श्रीकृष्ण की आराधना में लीन रहती हैं।
Verse 7
Hindi:
किरति कन्या अति सुखदाई।
श्री दामा भैय्या मन भाई।।
English Transliteration:
Kirti Kanya Ati Sukhadai,
Shree Dama Bhaiyya Man Bhai.
Sanskrit:
किरति कन्या अति सुखदा।
श्री दामा भ्राता मनोभूता।।
Explanation in Hindi:
किरति देवी की कन्या राधा अति सुख देने वाली हैं। उनके भाई श्रीदामा के मन की भी प्रिय हैं।
Verse 8
Hindi:
ललितादिक की प्राणन प्यारी।
सब बृजवासिन की सुखकारी।।
English Transliteration:
Lalitadik Ki Pranan Pyari,
Sab Brajwasin Ki Sukhkari.
Sanskrit:
ललितादिक प्राणप्रिय राधे।
सर्व बृजवासिनां सुखकारी।।
Explanation in Hindi:
ललिता और उनकी सखियों की प्राणप्रिय श्री राधा सभी बृजवासियों के लिए सुख की स्रोत हैं।
Verse 9
Hindi:
वृन्दावन रानी सुखदामा।
नागरमणि प्यारी अभिरामा।।
English Transliteration:
Vrindavan Rani Sukhdama,
Nagarmani Pyari Abhirama.
Sanskrit:
वृन्दावन रानी सुखधामिनी।
नागरमणि प्रियाभिरामिनी।।
Explanation in Hindi:
वृंदावन की रानी श्री राधा सभी को सुख देने वाली हैं। वह श्रीकृष्ण की प्यारी और अत्यंत आकर्षक हैं।
Verse 10
Hindi:
नित्य श्याम तोहे लाड़ लाड़ावे।
निरख नैंन हिये प्राण सिरावें।।
English Transliteration:
Nitya Shyam Tohe Laad Laadave,
Nirakh Nain Hiye Pran Sirave.
Sanskrit:
नित्यं श्याम त्वां लाड लाडयति।
निरीक्ष्य नयन हृदि प्राणं शिरावति।।
Explanation in Hindi:
श्रीकृष्ण नित्य श्री राधा पर प्रेम लुटाते हैं, और उनके दिव्य दर्शन से उनके हृदय को शांति मिलती है।
Verse 11
Hindi:
श्याम भावती बृज की शोभा।
देखत रसिकन के मन लोभा।।
English Transliteration:
Shyam Bhavati Braj Ki Shobha,
Dekhat Rasikan Ke Man Lobha.
Sanskrit:
श्यामभावती बृज शोभायाः।
द्रष्टुं रसिकानां मनो लोभाय।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा और श्रीकृष्ण की प्रेममयी लीलाएँ बृज की शोभा हैं, जिन्हें देख रसिकों का मन आकर्षित हो जाता है।
Verse 12
Hindi:
श्री वृषभान सुता अति भोरी।
कोटि सुधा सिन्धुं झकझोरी।।
English Transliteration:
Shree Vrishabhan Suta Ati Bhori,
Koti Sudha Sindhun Jhakhjhori.
Sanskrit:
श्री वृषभानु सुता अति भोला।
कोटि सुधासिन्धूनां झंझावता।।
Explanation in Hindi:
वृषभानु महाराज की पुत्री राधा अत्यंत सरल और मृदुभाव से भरी हुई हैं, मानो करोड़ों अमृत सागर बह रहे हों।
Verse 13
Hindi:
बरसानो निज धाम तिहारो।
टहल महल करत जहाँ प्यारो।।
English Transliteration:
Barsano Nij Dham Tiharo,
Tahal Mahal Karat Jahan Pyaro.
Sanskrit:
बरसानं निज धाम तव।
तत्र महल टहल कुरुते प्यारा।।
Explanation in Hindi:
बरसाना श्री राधा का निज धाम है, जहाँ उनके प्रिय श्रीकृष्ण उन्हें स्नेह से टहलाते हैं।
Verse 14
Hindi:
श्री वृषभान भवन जब आई।
नित नव मंगल होत बधाई।।
English Transliteration:
Shree Vrishabhan Bhavan Jab Aayi,
Nit Nav Mangal Hot Badhayi.
Sanskrit:
श्री वृषभान भवनं यदा आगता।
नित्यं नवं मंगलं भवति बधाई।।
Explanation in Hindi:
जब राधा श्री वृषभानु महाराज के भवन में आती हैं, तो प्रतिदिन नए मंगल कार्य होते हैं, और सभी उन्हें बधाई देते हैं।
Radha Chalisa
Verse 15
Hindi:
विपिन राज कुंजन में डोलत।
लता बेलि शुक राधा बोलत।।
English Transliteration:
Vipin Raj Kunjan Mein Dolat,
Lata Beli Shuk Radha Bolat.
Sanskrit:
विपिनराज कुंजेषु डोलति।
लता वेणि शुकः राधा बोलति।।
Explanation in Hindi:
वनराज के कुंजों में राधा विचरण करती हैं, और लता व वृक्षों में बैठे शुक (तोते) उनका नाम लेते हैं।
Verse 16
Hindi:
राधा राधा जो कोई गावत।
सहजहि वे मोहन को भावत।।
English Transliteration:
Radha Radha Jo Koi Gavat,
Sahajahi Ve Mohan Ko Bhavat.
Sanskrit:
राधा राधा यः गायति।
सहजं मोहनाय भवति।।
Explanation in Hindi:
जो भी प्रेम से राधा का नाम गाता है, वह सहज ही श्रीकृष्ण को प्रिय हो जाता है।
Verse 17
Hindi:
जो कोई राधा नाम सुनावे।
श्याम बेगि ताहि अपनावे।।
English Transliteration:
Jo Koi Radha Naam Sunave,
Shyam Begi Tahi Apnave.
Sanskrit:
यः कश्चित् राधा नाम श्रावयति।
श्यामः तत्क्षणं तं अपनयति।।
Explanation in Hindi:
जो भी भक्त प्रेमपूर्वक राधा का नाम सुनाता है, श्रीकृष्ण तुरंत उसे अपनाते हैं।
Verse 18
Hindi:
रसिक रसिली कुन्जंबिहारिनि।
प्रीतम प्यारी मोद बढ़ावनि।।
English Transliteration:
Rasik Rasili Kunjabiharini,
Pritam Pyari Mod Badhavni.
Sanskrit:
रसिक रसिके कुंजविहारिणी।
प्रियतम प्यारी मोदं वर्धयन्ती।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा, जो रसिकों की रसीली और कुंजबिहारिणी हैं, अपने प्रिय श्रीकृष्ण के साथ आनंद को बढ़ाने वाली हैं।
Verse 19
Hindi:
गहवर कुन्जंन कुटी विराजत।
प्रेम सरोवर सुख उपजावत।।
English Transliteration:
Gahvar Kunjan Kuti Virajat,
Prem Sarovar Sukh Upjavat.
Sanskrit:
गह्वर कुंजं कुटी विराजते।
प्रेम सरोवरं सुखं उपजायते।।
Explanation in Hindi:
राधा प्रेम के सरोवर में बसी गहवर वन की कुंज में स्थित होती हैं, जहाँ प्रेम की सुखद अनुभूति उत्पन्न होती है।
Verse 20
Hindi:
लता बेलि शुक यमुना कूले।
राधा राधा कह सब फूले।।
English Transliteration:
Lata Beli Shuk Yamuna Koole,
Radha Radha Kah Sab Phule.
Sanskrit:
लता वल्ली शुकः यमुनातटे।
राधा राधा कहि सब प्रस्फुटंते।।
Explanation in Hindi:
यमुना के किनारे लता, बेल और तोते सब श्री राधा का नाम लेते हैं और प्रसन्नता से भर जाते हैं।
Verse 21
Hindi:
सेवा कुंन्ज नित रास रचावो।
नागरमणि मन सुख उपजावो।।
English Transliteration:
Seva Kunj Nit Raas Rachavo,
Nagarmani Man Sukh Upjavo.
Sanskrit:
सेवाकुंजे नित्यं रासं रचय।
नागरमणि मनसि सुखं उपजाय।।
Explanation in Hindi:
सेवाकुंज में प्रतिदिन श्री राधा रास रचाती हैं, जिससे उनके नागरप्रिय के मन में सुख की उत्पत्ति होती है।
Verse 22
Hindi:
शयन सेज निज मुकुट सवारे।
वे सुख उर सों जात ना टारे।।
English Transliteration:
Shayan Sej Nij Mukut Savare,
Ve Sukh Ur Son Jat Na Tare.
Sanskrit:
शयनशय्या निज मुकुट सुसज्जा।
तत्तत्सुख हृदयात् न तस्य विहिता।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा अपने शयन में मुकुट सजाए रहती हैं, और उस आनंदमयी स्थिति को वे कभी हृदय से दूर नहीं होने देतीं।
Verse 23
Hindi:
सब लोकन तुव यश विख्याता।
प्रेम भक्ति निज मंगल दाता।।
English Transliteration:
Sab Lokan Tuv Yash Vikhyata,
Prem Bhakti Nij Mangal Data.
Sanskrit:
सर्वलोकेषु तव यशः प्रसिद्धम्।
प्रेमभक्ति स्वमंगलदायिनी।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा का यश सभी लोकों में प्रसिद्ध है। वे प्रेम और भक्ति का मंगलदायक स्वरूप हैं।
Verse 24
Hindi:
श्री वृन्दावन नवल नागरी।
बृज बनितन बन रहि आखरी।।
English Transliteration:
Shri Vrindavan Naval Nagari,
Braj Banitan Ban Rahi Aakhari.
Sanskrit:
श्री वृन्दावन नवल नागरी।
बृजबनितानां वन इति आखरी।।
Explanation in Hindi:
श्री वृंदावन की नई नागरी (राधा) ब्रज की स्त्रियों के लिए आदर्श बनकर वन में स्थित रहती हैं।
Verse 25
Hindi:
खेल खेलावत निज ललितादिक।
फुले रहत रसिक वर नायक।।
English Transliteration:
Khel Khelavat Nij Lalitadik,
Phule Rahat Rasik Var Nayak.
Sanskrit:
क्रीडां क्रीडयति निज ललितादिक।
फूलयति रसिक वर नायक।।
Explanation in Hindi:
राधा अपनी प्रिय सखी ललिता और अन्य सखियों के साथ खेलती रहती हैं, और श्रीकृष्ण के प्रेम में आनंदित रहती हैं।
Verse 26
Hindi:
लीला मूल स्वरूप धामिनी।
आदिशक्ति निज श्रोत भामिनी।।
English Transliteration:
Leela Mool Swaroop Dhamini,
Adi Shakti Nij Shrot Bhamini.
Sanskrit:
लीलामूलस्वरूपधामिनी।
आदिशक्ति निज स्रोत भामिनी।।
Explanation in Hindi:
राधा का स्वरूप लीला का मूल है और वे स्वयं आदि शक्ति के स्रोत स्वरूपा हैं।
Verse 27
Hindi:
नव नव प्यारी नवल सहेली।
विहरत संग लिये अलबेली।।
English Transliteration:
Nav Nav Pyari Naval Saheli,
Viharat Sang Liye Albeli.
Sanskrit:
नव नव प्यारी नवल सहेली।
विहारं संग लीय अलबेली।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा अपने प्रिय सखियों के साथ नवीनता से परिपूर्ण अलबेली (मनमोहक) स्वरूप में विचरण करती हैं।
Verse 28
Hindi:
सब बृज की प्यारी ठकुरानी।
वृन्दावन जिनकी रजधानी।।
English Transliteration:
Sab Braj Ki Pyari Thakurani,
Vrindavan Jinki Rajdhani.
Sanskrit:
सर्वबृजस्य प्यारी ठकुरानी।
वृन्दावन यास्य राजधानी।।
Explanation in Hindi:
राधा समस्त ब्रज की प्यारी ठकुरानी हैं और वृंदावन उनकी राजधानी है, जहाँ उनका साम्राज्य है।
Verse 29
Hindi:
राज करे सब विधी सब काला।
रसिक विहारिनी भोरी बाला।।
English Transliteration:
Raj Kare Sab Vidhi Sab Kala,
Rasik Viharini Bhori Bala.
Sanskrit:
राजते सर्व विधिः सर्वकला।
रसिकविहारिणी भोरा बाला।।
Explanation in Hindi:
श्री राधा सभी प्रकार की विधियों और कलाओं में महारथ रखती हैं। वे रसिकों के साथ विहार करने वाली बालिका हैं।
Verse 30
Hindi:
रवि तन्या पिय ध्यान लगावे।
राधा राधा कह सुख पावे।।
English Transliteration:
Ravi Tanya Piy Dhyan Lagave,
Radha Radha Kah Sukh Pave.
Sanskrit:
रवितन्या पिय ध्यायति।
राधा राधा कः सुखं प्राप्नोति।।
Explanation in Hindi:
जो श्री राधा का ध्यान लगाते हैं और उनका नाम जपते हैं, उन्हें सच्चे सुख की प्राप्ति होती है।
Verse 31
Hindi:
सब विद्या सुप्रवीन लाड़ली।
हित सजनी सुख देत चाड़ली।।
English Transliteration:
Sab Vidya Supraveen Ladli,
Hit Sajani Sukh Det Chadli.
Sanskrit:
सर्वविद्या सुप्रवीण लाड़ली।
हित सजनी सुखं ददाति चाड़ली।।
Explanation in Hindi:
राधा जी सभी प्रकार की विद्या में निपुण हैं और अपनी सखियों के हित में सुख प्रदान करने वाली हैं। उनकी ममता और प्रेम से उनके सखा-सखियाँ हमेशा आनंदित रहते हैं।
Verse 32
Hindi:
ब्रह्मकोटि नूपुर अवतारा।
शिव शारद पावत नहिं पारा।।
English Transliteration:
Brahma Koti Noopur Avatara,
Shiv Sharad Pavat Nahin Para.
Sanskrit:
ब्रह्मकोटि नूपुर अवतारा।
शिवः शारदा च न पारेति।।
Explanation in Hindi:
राधा जी का स्वरूप अनंत और अलौकिक है, और उनके चरणों की शोभा अनगिनत ब्रह्मांडों में व्याप्त है। स्वयं शिव और सरस्वती भी उनके रहस्यों को पूरी तरह समझने में असमर्थ हैं।
Verse 33
Hindi:
नख दुति उपमा कैसे दिजै।
कोटि शशी छिन-छिन ही भीजै।।
English Transliteration:
Nakh Duti Upma Kaise Dijai,
Koti Shashi Chhin-Chhin Hi Bheejai.
Sanskrit:
नखद्युति उपमा कथं दद्यात्।
कोटिशशि क्षणं क्षणं भीजेत्।।
Explanation in Hindi:
राधा जी के नखों की चमक की उपमा देना असंभव है, क्योंकि उनकी यह दीप्ति कोटि-कोटि चंद्रमाओं को हर क्षण आलोकित कर देती है।
Verse 34
Hindi:
रसिक रसिलो राधा देखत।
अपनो जन्म सुफल करि लेखत।।
English Transliteration:
Rasik Rasilo Radha Dekhat,
Apno Janm Sufal Kari Lekhat.
Sanskrit:
रसिकरसिलो राधां पश्यति।
स्वजन्मं सफलं करोति।।
Explanation in Hindi:
जो भी रसिक राधा जी के अलौकिक स्वरूप को देखता है, वह अपने जन्म को सुफल मानता है। उनके दर्शन से ही जीवन का संपूर्ण उद्देश्य सिद्ध हो जाता है।
Verse 35
Hindi:
श्रीवृन्दावन रस की सम्पत्ति।
राधारानी रसिकन दम्पत्ति।।
English Transliteration:
Shri Vrindavan Ras Ki Sampatti,
Radharani Rasikan Dampatti.
Sanskrit:
श्रीवृन्दावनं रसं संपत्ति।
राधारानी रसिकानां दम्पत्ति।।
Explanation in Hindi:
वृंदावन प्रेम और रस की संपत्ति है, और राधारानी समस्त रसिक जनों की धरोहर एवं उनकी आत्मीय संगिनी हैं।
Verse 36
Hindi:
कुन्ज निकुन्जन जब-जब जाही।
प्रितम करे मुकुट परछाहीं।।
English Transliteration:
Kunj Nikunjan Jab-Jab Jahi,
Pritam Kare Mukut Parchhahi.
Sanskrit:
कुञ्जं निकुञ्जं यदा यदा याति।
प्रियतमः करोति मुकुट छायाम्।।
Explanation in Hindi:
जब-जब राधा जी कुंज-निकुंज में प्रवेश करती हैं, तो उनके प्रिय श्रीकृष्ण अपना मुकुट उनके ऊपर छाया स्वरूप में रखते हैं। यह उनकी अनंत प्रेम की लीला का प्रतीक है।
Verse 37
Hindi:
नवल किशोरी जहाॅं चलि जावें।
चरणन रज पिच नैंन लगावें।।
English Transliteration:
Naval Kishori Jahan Chali Jaave,
Charanan Raj Pich Nain Lagaave.
Sanskrit:
नवल किशोरी यत्र चलति।
चरणरजः पिच्छ नयनं लगयति।।
Explanation in Hindi:
जहां भी नवल किशोरी राधा जी जाती हैं, वहां की भूमि उनके चरणों की धूल को आंखों में सजाना चाहती है, उनके प्रेम में धरती भी विनम्र हो जाती है।
Verse 38
Hindi:
मानत आपन भाग बड़ाई।
तन मन में सब जड़ता आई।।
English Transliteration:
Maanat Aapan Bhag Badai,
Tan Man Mein Sab Jadata Aai.
Sanskrit:
मानयते स्वं भाग्यं महान।
तन्मनस्य सर्वं जडत्वं आगतम्।।
Explanation in Hindi:
जो भी राधा जी का अनुग्रह पाता है, वह अपने भाग्य को महान मानता है, और इस प्रेम में तन और मन की संपूर्ण स्थिरता प्राप्त करता है।
Verse 39
Hindi:
करूणामयी करूणा की खान।
अपने जन हों करें न मान।।
English Transliteration:
Karunamayi Karuna Ki Khan,
Apne Jan Ho Kare Na Maan.
Sanskrit:
करुणामयी करुणायाः खनिः।
स्वजनस्य न कुरुते मानं।।
Explanation in Hindi:
राधा जी करूणा की खान हैं, और अपने भक्तों को अपने से दूर कभी नहीं करतीं। उनके प्रेम में सभी का कल्याण होता है।
Verse 40
Hindi:
जो कोई शरण प्रिया की आवे।
श्याम सुन्दर ताहि अपनावे।।
English Transliteration:
Jo Koi Sharan Priya Ki Aave,
Shyam Sundar Tahi Apnaave.
Sanskrit:
यः कोऽपि शरणं प्रियायाः आगच्छति।
श्यामसुन्दरः तम् अपनयते।।
Explanation in Hindi:
जो भी राधा जी की शरण में आता है, श्रीकृष्ण उसे अपने रूप में स्वीकार कर लेते हैं और उसे अपने प्रेम में समाहित कर लेते हैं।
दोहा
Hindi:
नित उठ राधा चालीसा, पाठ करे मन लाय।
नव निकुंज निज महल की, वेगि टहल मिलि जाय।
English Transliteration:
Nit Uth Radha Chalisa, Paath Kare Man Laay,
Nav Nikunj Nij Mahal Ki, Vegi Tahal Mili Jaay.
Sanskrit:
नित्यं उत्थाय राधाचालीसा, पाठं कुरुते मनसा लय।
नव निकुञ्ज निज महलस्य, शीघ्रं भ्रमणं प्राप्तिं लभते।।
Explanation in Hindi:
यदि प्रतिदिन भक्ति-भाव से राधा चालीसा का पाठ किया जाए, तो भक्त राधा जी के निकुंज में स्थान पाता है और उनके प्रेम और आशीर्वाद से उसका जीवन धन्य हो जाता है।
निष्कर्ष
राधा चालीसा का पाठ हमारे मन, आत्मा, और हृदय को शुद्ध करता है और हमें राधा रानी की कृपा का आशीर्वाद प्रदान करता है। यह चालीसा हमारे जीवन में प्रेम, भक्ति और शांति का अनुभव करने में सहायक है। मुझे आशा है कि इस राधा चालीसा के माध्यम से आप भी राधा रानी के प्रति अपने भक्ति-भाव को और गहरा कर पाएंगे।
FAQs (सामान्य प्रश्न)
प्र. 1: राधा चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
उ. राधा चालीसा का पाठ प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद और शांत मन से करना उचित होता है। यह सुबह के समय एकाग्रता में मदद करता है और दिनभर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
प्र. 2: राधा चालीसा के क्या लाभ हैं?
उ. राधा चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है, भक्ति और प्रेम का भाव बढ़ता है, और इससे सकारात्मकता का अनुभव होता है। यह भक्त को राधा रानी और श्रीकृष्ण के करीब लाता है और उनके आशीर्वाद का अनुभव कराता है।
प्र. 3: क्या राधा चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता होती है?
उ. नहीं, राधा चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष अनुष्ठान आवश्यक नहीं है। इसे प्रेम और श्रद्धा से पढ़ा जा सकता है। हां, मन को एकाग्र रखने के लिए पूजा की साफ-सुथरी जगह और शांत वातावरण चुनना लाभकारी हो सकता है।
प्र. 4: क्या राधा चालीसा का पाठ अन्य लोगों के लिए भी लाभकारी हो सकता है?
उ. हां, राधा चालीसा का पाठ न केवल स्वयं के लिए बल्कि परिवार और मित्रों के लिए भी शुभता और शांति लाता है। आप इसे अपने प्रियजनों के कल्याण के लिए भी पढ़ सकते हैं।
प्र. 5: क्या राधा चालीसा का पाठ हिंदी में ही करना चाहिए?
उ. राधा चालीसा का पाठ किसी भी भाषा में किया जा सकता है। हिंदी, संस्कृत या किसी अन्य भाषा में पढ़ें, मूल भावना और भक्ति महत्वपूर्ण है।